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दैनिक भास्कर अखबार में डस्टबिन में वैक्सीन मिलने की खबर पूर्णतः तथ्यों से परे एवं भ्रामक है।

Writer's picture: SHAKTI PRATAP SINGH RATHORESHAKTI PRATAP SINGH RATHORE

वैक्सीन वाइल्स का उपयोग करने के बाद इन्हें नियमानुसार सम्बंधित चिकित्सा संस्थान में ही जमा करवाया जाता है। इस खबर के लिए संबंधित पत्रकारों ने स्वयं को गलत तरीके से स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान का उच्चाधिकारी एवं WHO का प्रतिनिधि बताया एवं संबंधित कर्मचारियों पर दबाव डालकर उनसे इन वाइल्स को प्राप्त किया। यह वाइल्स किसी डस्टबिन में नहीं मिली हैं।

कोरोना वैक्सीन के हर डोज की पूरी जानकारी केन्द्र सरकार के CoWin / eVIN सॉफ्टवेयर पर दर्ज की जाती है। जिन वाइल्स के बारे में अखबार ने जानकारी दी है वह सभी सॉफ्टवेयर में दर्ज हैं और इन सभी वाइल्स का भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसर समुचित उपयोग किया गया है। ऐसी झूठी अफवाह फैलाने एवं स्वयं की गलत पहचान बताने के लिए संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने उक्त अखबार के प्रबंधन को अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट उपलब्ध करवाकर उचित कार्रवाई के लिए अवगत कराया है।

मेरी सभी से अपील है कि वैक्सीनेशन के कार्य में सहयोग करें एवं इस प्रकार से भ्रामक प्रचार ना करें। राजस्थान में 1.66 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। यहां 18-44 आयुवर्ग में जीरो वेस्टेज एवं 45 से अधिक आयुवर्ग में वैक्सीन का वेस्टेज 2% से भी कम है जो केन्द्र द्वारा अनुमत सीमा 10% और वैक्सीन वेस्टेज की राष्ट्रीय औसत 6% से बेहद कम है। राजस्थान वैक्सीनेशन में देशभर में अग्रणी है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित फोटो गौर से देखी और तत्काल जांच करवाई। जांच से स्पष्ट हुआ कि यह फोटो पीले बैग की है, जिसमें भारत सरकार के बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के अनुसार एक्सपायर्ड एवं डिस्कार्डेड वैक्सीन वाइल्स डालनी होती है। उक्त फोटो में भी निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार उपयोग में ली गई वैक्सीन वाइल्स बूंदी सीएचसी के स्टोर में पीले रंग के बैग में ही नजर आ रही है।


-शक्ति प्रताप सिंह राठौड़ पीपरोली


आप स्वयं गौर से देख लें।


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