किसान नेता एव पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राजेश जी पायलट की पुण्यतिथि पर शत शत नमन एवम भावपूर्ण श्रद्धाजंलि ।
उगता सूरज नई सदी का अँधेरे में छोड़ गया। 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। 10 फ़रवरी सन् 45 को जन्मा दिव्य बालक, बड़ा होकर संकल्पों का पकड़ा उसने दामन। आयु हुई थी दस बालक की घर शोक में डूब गया, भारत माँ का वीर सिपाही पिता उनका छिन गया। मातृभूमि की सेवा में ही सब कुछ अर्पित था उनका, राजेश्वर भी हो एअरफ़ोर्स में यह सपना था उनका। पिता का सपना पूरा करना राजेश्वर ने ठान लिया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। घर था बहुत दीन बालक का था पैसों से तंगी, ऐसी निर्धन हालत में तब कोई नहीं हुआ संगी। आ पड़ा भार बचपन में बालक के कन्धों पर, भार भार का पड़ा बाल के कोमल कन्धों पर। रोज़ दूध लेकर डेयरी में नंगे पाँव वह भगता, जगकर देर रात तक केवल कुछ समय वह पढता। करी वक़्त से हौड़ शिशु ने क़दम से क़दम मिलाया, 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया। एअरफ़ोर्स में भर्ती होने तय स्थल पर आया, देख हीन नेकर-शूज़ से प्रशिक्षक ने उन्हें बुलाया। दीन कहानी सुन बच्चे की सब अधिकारी अटके, पर देख इरादे नेक शिशु के प्रशिक्षक क्या करते? दौड़ हुई भर्ती करने की सबसे अव्वल आया, बना शिशु से वीर पायलट सबके मन को भाया। वायुसेना के कैन्टीन में दीप जला एक और नया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। जय जवान का मंत्र लेकर वायुसेना में आए, वायुयान में बैठ वीर ने दुश्मन के छक्के छुड़ाए। सत्रह वर्ष की सेवा में ही पूर्ण किया अरमानों को, देख वीरता वीरभक्त की अचरज़ हुआ जवानों को। मिली रमा सी पतिव्रता नारी प्रणय-सूत्र में आए, शुभ मुहूर्त की एक सुबह को तेजस्वी बालक पाए। सूरज के अम्बर में रहते उदित हुआ एक सूर्य नया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। सत्रह वर्ष सेना में रहकर त्यागपत्र दे आया, राजनीति में आने का मानस उसने बनाया। ले आशीष इंदिरा गाँधी का पर्चा भर आया, भरतपुर के जनमानस ने संसद में भिजवाया। मुड़कर पीछे कभी न देखा आगे क़दम बढ़ाया, राजेश्वर का नाम बदल राजेश पायलट बनाया। कांग्रेस के मन्द खेमे में नया उजाला हो गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। प्रजातांत्रिक नीति हेतु पक्ष-विपक्ष ने उन्हें सराहा, सच्ची निष्ठा देख वीर की हर दिल ने उनको चाहा। चौरासी के चुनाव से दौसा को कर्मस्थली जाना, तब से लेकर अंतकाल तक माता इसको माना। उस चुनाव में खेत हुई थी कांग्रेस राजस्थान में, हज़ारों से जितवाया पायलट को दौसा के मैदान में। संचारमंत्री बन देश के जन-जन का नेता हो गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। जनता ने जब-जब याद किया दौड़ा चला आता था, देख दलित मसीहा को हर पुलकित हो जाता था। जम्मू और कश्मीर घूमता न जाता जब कोई, बीस वर्ष की राजनीति में लग न पाया दाग कोई। कांग्रेस के हित में वे कांग्रेस के दिग्गजों से टकराते थे, तोपों का भय किए बिना अग्रिम मोर्चों पर जाते थे। जब भी याद किया जनता ने सपनों में भी आ गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया। इधर सदन में भ्रष्ट नेताओं को बहुत अधिक तड़पाया, तो उधर युद्ध में दुश्मनों को छठी का दूध याद दिलाया। भ्रष्टाचारी नेता तो बस वादे कर बहकाते थे, पायलट जो भी कहते थे क्रियान्विति में लाते थे। पक्ष-विपक्ष के नेताओं से कभी नहीं घबराया, जादूगर चंद्रास्वामी को तिहाड़ जेल भिजवाया। तन-मन-धन देकर दौसा को हर व्यक्ति से प्यार किया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। पायलट-पटेल एक शब्द हैं बस थोड़ा फेर-बदल इनमें, लगता पटेल ने जन्म लिया हो पायलट के तन-मन में। सूझबूझ और दृढ-निश्चयी थे पायलट इरादों में, सुन पुकार पायलट दीन की आ जाते थे रातों में। सोने की चिड़िया था दौसा पायलट के राज में, ऊपर-नीचे के चालक को बुला लिया यमराज ने। वो वीर मृत्यु के कालपुरुष के मन को भा गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। इसी कड़ी की एक शाम को कालगति थी आई, हुआ एक्सिडेन्ट वीर का रोड़वेज टकराई। गाँव भंडाना दौसा में विधि ने अद्भुत खेल दिखाया, वीर खिलाड़ी पायलट को अपने पास बुलाया। होनी है बलवान जगत में रोक सका न कोई, भारतमाता वीर सपूत को सड़क बीच में खोई। दिन-रात साथ बिताने वाला तन्हाई में छोड़ गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। सुबह ख़ुशी में झूम उठा मैं तीर्थ धाम त्रिवेणी में,' पास हुआ था 5 विं क्लास में प्रथम श्रेणी में। आया सात बजे मैं घर पर खाना खा रहा, TV बोली उसी वक़्त पर पायलट नहीं रहा। सुनते ही मैं धरती पर अचेत होकर गिर पड़ा, बात पूछकर लोगों ने फिर से मुझको किया खड़ा। जब बात बताई पूरी मैंने सबका होश उड़ गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। पहली बार मिला मैं उनसे कर संकेत बुलाए थे, देकर एक अमरुद हाथ में मन मेरा बहलाए थे। औरतें उनकी रैलियों में गीत गाती जातीं थीं, गए पायलट वीर जहाँ भी भीड़ उमड़ आती थी। वक़्त से पहले पायलट को बुला लिया यमराज ने, आज आत्मा भटक रही है दौसा की तलाश में। लोगों की आँखों से आंसू नदियाँ बनकर बह गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। दिल्ली से सुन ख़बर मौत की सीधी जयपुर आई, देख पति की लाश रमा आँखों में आँसू लाई। टप टप आँसू गिरे धरा पर बोल नहीं वो पाई, अटल विधाता के नियमों को समझ नहीं वो पाई। लाश तिरंगे में लिपटाकर दिल्ली में भिजवाई, भारतमाता देख लाश को निज आँसू थी टपकाई। आँसू बहा-बहाकर सबके आँखों को ज्यों धो गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। किया अंत में उद्घाटन था कंप्यूटर महाविद्यालय का, किया निवेदन हर बच्चे से शिक्षा उसमें लेने का। दीनजनों का रक्षक पहुँच गया यमलोक में, दौसा के हर बच्चे-बूढ़े डूब गए थे शोक में। कश्मीर जुड़ा न होने देंगे हिन्द देश के वीरों, कह गया अपने दृढ वचनों से दौसा का वो हीरो। राम-रामसा कहने वाला वीर छोड़कर चला गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।। दिल्ली पहुँची लाश वीर की अंसुओं की लगी झड़ी थी, भारत माँ की जनता सारी सड़कों के बीच खड़ी थी। वाजपेयी और राष्ट्रपति भी रोक न पाए रोना, बोले हे भगवान् वीर सा वीर कभी मत खोना। भारत की सारी जनता ने अन्तिम विदाई दी, त्रिदेव सहित मिलकर देवों ने पुष्पों की वर्षा की। बीज सुनहरी यादों के वो दिल में सबके बो गया; 11 जून सन् 2000 को भारत का कल खो गया।।
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